मैं शायर तो नहीं... आशिक भी नहीं...
आपके हुस्न के दीवाना भी नहीं...
नाचीज़ तो बिलकुल नहीं... आपका पुजारी भी नहीं...
आपको सबसे ज़्यादा चाहनेवाला भी नहीं...
आपकी यादों के गुलाम भी नहीं...
मैं तो एक झूठा हूँ ... और बस झूठ ही लिखा करता हूँ।
Monday, February 9, 2009
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3 comments:
Great start! :-) Keep it up!
Nice one.... expecting more in coming days..... :)
Kya bat hai... :)
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